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जर्मप्लाज्म अन्वेषण, मूल्यांकन एवं संरक्षण प्रभाग

जर्मप्लाज्म अन्वेषण, मूल्यांकन एवं संरक्षण प्रभाग


उद्देश्य: संरक्षण अनुसंधान एवं एप्लीकेशन हेतु एक्वेटिक जेनेटिक मटीरियल पर टूल्स, संसाधनों और सूचना का विकास

थ्रस्ट एरिया:

  • संरक्षण जेनेटिक एवं जेनोमिक्स: डॉक्यूमेंटिंग इंटर- और इंफ्रा-स्पेसिफिक जेनेटिक वेरिएशन और जेनेटिक स्टॉक एण्ड जेनमिक रिसोर्सेज़।
  • इन सिटु संरक्षण: जर्मप्लाज्म एक्सप्लोरेशन, स्टेटस एण्ड यूटिलाइज़ेशन, पीपल पार्टिसिपेशन एप्रोच।
  • एक्स सिटु संरक्षण: लाईव जीन बैंक और प्राथमिक प्रजातियों के लिए कृत्रिम प्रचार; रिपोज़ीटरीज़ की स्थापना, स्पर्म/एमब्राइयोनिक सेल्स का क्राइओप्रिज़रवेशन; जर्मप्लाज्म़ पंजीकरण एवं आईपीआर।
  • मानव संसाधन विकास।

प्रमुख उपलब्धियां:

  • नदी घाटियों का पता लगाया, अर्थात, इंडस, गंगा, घाघर, ब्रह्मपुत्र, महानदी, कृष्णा, गोदावरी और उनकी सहायक नदियां, जिससे टेक्सोनॉमिक वैलिडेशन, स्टॉक आईडेन्टीफिकेशन और रिपोजीटरी हेतु मछली एक्सेशन इकठ्ठा किया जा सके।
  • भारतीय नदियों में नेचुरल रेंज ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन में मॉलीक्यूलर मारकर्स का इस्तेमाल कर सोलह मछलिया और शेलफिश प्रजातियों को उनके जनसंख्या अनुवांशिक ढांचे के लिए अध्ययन किया गया।
  • मॉलीक्यूलर मारकर्स का इस्तेमाल कर भारतीय महासीर्स के लिए टेक्सोनॉमिक वेलिडेशन किया गया।
  • चिताला चिताला और पंगास पंगेसियस के लिए माईक्रोसेटेलाइट एनरिच्ड जेनमिक लाईब्रेरी का निर्माण।
  • क्लेरियस बत्राचास ईएसटी-एसएसआर (221); एसएनपी (33); ईएसटी (1923) और जीन संबंधी इम्यून रिसपॉंस (24) में टाईप मारकर्स विकसित।
  • क्लेरियस बत्राचास के लिए 6 टिशूज़ विकसित की डीसीडीएनए लाईब्रेरी।
  • क्लेरियस बत्राचास और पंगास पंगेसियस सीक्वेन्सड का संपूर्ण मिटोकोंड्रियल जीनम।
  • विभिन्न मॉलीक्यूलर मारकर्स और पॉलीमॉरफिक माइक्रोसेटलाइट डीएनए मार्कर्स का इस्तेमाल स्पीसीज़ लेवल पर कुल 33 मछली प्रजातियों को चिन्हित किया गया है।
  • क्लेरियस बत्राचास में हाईपोक्सिया टोलरेंस के लिए अलग एक्सप्रेशन के जीन की पहचान करी गई।
  • 26 मछली के लिए स्पर्म क्राइयोप्रिज़रवेशन प्रोटोकॉल विकसित किया गया और 18 मछली प्रजातियों के लिए व्यवहार्य हैचलिंग की उत्पादन की टेस्टिंग।
  • 13,000 एक्सेशन्स के साथ टिशू बैंक की स्थापना।
  • लखनऊ एवं गुवाहाटी में लाईव जीन बैंक की स्थापना।
  • आईसीएआर-एनबीएफजीआर ने राज्य सरकार को एक मछली को स्टेट फिश घोषित करने की एक सकारात्मक पहल शुरु करी है, जिससे सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी प्राप्त हो रही हैं। इसके बाद से 16 राज्यों ने स्टेट फिश की घोषणा भी करी है।
  • एम्ब्रायोनिक स्टेम सेल लाईन को इण्डियन कैटफिश, हेट्रोपीनेसटर फोज़िल्स के लिए विकसित किया गया है।
  • फिशरी रिसोर्सेज़ के सतत प्रबंधन और संरक्षण में फिशर फोल्क संस्थाओं का डॉक्यूमेंटड रोल और पोटेन्शियल लाभ प्राप्त करने के लिए।
  • एक्सेस लाभ साझा करने के लिए देशीय ज्ञान दस्तावेज पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रयास किए गए।